मां एक ऐसा शब्द है जिसके आगे बड़ी सी बड़ी मुसीबत भी टल जाती है,मां से शायद हो कोई अंजान होगा।मां के बारे मे कोई ऐसा शब्द नही जो मां की परिभाषा बन पाए,सबकी अलग अलग परिभाषा होती है।एक वार्ड में मां की परिभाषा मेरे नजर मे भगवान होता है।
किसी ने सही ही कहा था,भगवान हर जगह नही रह सकते है,इसलिए उसने अपना एक रूप मां के रूप मे सबको दिया है, कुछ लोग जो नसीब के खोटे होते है,उनके ही पास मां नही होती है
मां देवी का रूप होती है,जो अपने बच्चो के लिए दुनिया से भी लड़ जाती है। बच्चो के लिए अपना सब जीवन निछावर कर देती है।
मां अपने ऊपर हर तकलीफ बरदास कर सकती है,पर अपने बच्चो पर एक भी छोटा सा भी चोट नही देख सकती है।सी खुद गीले मैं सो सकती है, भूखे रही है कि उसका बच्चा भूखा न रहे,और न ही गीले मैं सोए ।
जब तक कोई भी औरत मां नही बनाती है,तब तक वह अपना फैशन नही छोड़ती है,पूरे टिप टोप मे रहती है,पर बच्चे हो जाने पर,सी अपना सबसे बड़ा शौक फैशन भी छोड़ देती है।अपना करियर भी बच्चो कर लिए खतम कर देती है ।
किसी ने बहुत खूब कहा है कि मां दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा होती है।वह अकेले भी अपने बच्चो की परवरिश कर सकती है।
मां के बारे में बड़े से बड़े लेखक भी हाथ जोड़ दिए है,उनका भी कहना है कि मां का गुणगान कभी भी खत्म नहीं होगा,न ही किसी मे ये उनके गुणगान करने में सक्षम है। मां के बारे मे जितना लिखा जय उतना काम है,
बच्चो का सबसे रिश्ता तक बनता है,जब च पैदा होता है,पर मां से उसका रिश्ता सब लोगो से नौ महीना ज्यादा का होता है। शायद इसलिए मां अपने बच्चो को सब लोगो से ज्यादा अच्छे से समझती है।
कोई अपने शरीर मे एक 3 किलो का सामना,या पत्थर रखा कर एक दिन नही रह सकता है,पर मां अपने बच्चे को नौ महीना तक पेट मे ना केवल रखती है,सब तकलीफ भी हस्ते हुए सहती है।अपने शरीर की भी फिकर नही करती है,यादि ऑपरेशन से बेबी होता है,तो भी हमेशा रेडी रहती है अपने बच्चे के लिए वह हर एक चोट सहती हैं।
घर मतलब मां होती है,जिस घर में मां नही,वह घर नही। कुछ बच्चे मां को नही समझते है, मां क्या होती है,वह अच्छी तरह बता देगे जिनकी मां नही होती है। कि मां क्या होती है,मां की क्या वैल्यू है लाइफ मे।
दिन मां से आरंभ होता है,और खत्म भी,पर एक दिन को खास रूप से मां के लिए बनाया गया है,जिसे मदर डे कहते है,जो हर साल मई महीने में होता ।